गणपति हे गणेश देव ! खिलते हुए जपा पुष्प, रत्न, पुष्प मूँगा और प्रभात की लालिमा, इन सबोँ की ज्योति के समुच्चयवाले, लम्बोदर, वक्रतुण्ड, एकदन्त, गणोँ के स्वामी, शिवसुत श्रीगणेश जी की स्तुति करता हूँ । वक्रतुण्ड वाली महा काया को धारण करने वाले, करोड़ोँ सूर्यो के समान कान्ति वाले, हे गणेश देव ! मेरे सारे कार्योँ के विघ्नोँ को सदा के लिये दूर करो । जय गणेश देवा जय गणेश देवा गणपति बाप्पा मोरया
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