Thursday, August 30, 2012

जय संतोषी माता

जय संतोषी माँ


माँ भगवती हर स्थान पर ,तेरे नाम का उजियारा है
तेरे नाम की छैया में ,मैंने पाया प्यार तुम्हारा है

संतोष सिखाती है तू ,हर काज तूने मेरा संवारा है
तेरे बिन माँ संतोषी ,मेरा इस जग में कहाँ गुजारा है

जय जय माँ संतोषी ,मेरे लब पर तेरा ही जयकारा है
जय जय माँ संतोषी ,मेरे लब पर तेरा ही जयकारा है


जय जय संतोषी माँ ,बस तर ही सहारा है जेकर है 

जय जय संतोषी माँ ,सब के दुखो को हरनेवाली 

जी जय संतोषी माँ ,बस अब तेरा ही सहारा है 

संकट दूर करो माँ अम्बे 

अपने वचन निभाओ माँ अम्बे 

आज झोली खली ले कर आई हूँ 

बार दे झोली ,खली झोली न जाने देना 

एक तेरा सहारा है तू ही पार लगाना माता 

======जय संतोषी माता======

जय सत्यनारायण स्वामी

जय लक्ष्मी रमना


जय लक्ष्मी रमणा श्री जय लक्ष्मी रमणा

सतनारायण स्वामी जनपातक हरना .

रतन जनित सिन्हासन ,अदभुत छवि राजे ,

नारद करद निरंतर ,घंटा ध्वनि बाजे ,

प्रकट भये कलिकारण ,द्विज को दरस दिए ,

बड़ा ब्राह्मण बंकर कंचन महल कियो

जय लक्ष्मी रमण

..............ओम् .............



Saturday, August 25, 2012

आज के राम बनो

जय श्री राम

राम का नाम लो मन से

मर्यादा पुर्शोतम नहीं बन सकते तो

एक अछे इंसान बनो

भाई और पत्नी का आदर करो

माता पिता के आज्ञाकारी बनो

आज की दुनिया में

जिसने इतना कर लिया

उसने राम को पा लिया

........जय श्री राम .......

Thursday, August 23, 2012

राम का नाम

राम

मन परेशान हो

बस राम का नाम लो

राम नाम हर दुःख हरता है

आत्मा को शीतल करता है

बोलो

राम राम राम राम राम

........जय श्री राम .......

Monday, August 20, 2012

जय हो

जय हो

संकट मोचन संकट दूर करो सब के

मन को साफ़ करो और सच्चाई भरो सब में

जो तेरा नाम धियावे

भुत पिसाच ताके निकट न आवे

स्वार्थ भरे भूतो को भगाओ

अपने भक्तो को बचाओ

जय बजरंग बलि 
‎_/\_ मारुति नंदन नमो नमः _/\_ कष्ट भंजन नमो नमः _/\_



_/\_ असुर निकंदन नमो नमः _/\_ श्रीरामदूतम नमो नमः _/\_

Sunday, August 19, 2012

जय शिव

शिव

जिसने नाम लिया शिव का

उसका बेडा पार हुआ

जिसने पूजा की शिव की

उसको हर खुशी मिली जीवन की

प्रेम से लो शिव का नाम

पूर्ण होंगे सारे काम

..........जय शिव ओमकारा .......

........शिव ही शिव .........

Saturday, August 18, 2012

जय देव

जय देव

सुखकरता दुखहर्ता


वार्ता विघनाची


नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची


सर्वांगी सुन्दर उटीशेंदुराची


कंठी झलके माळ मुकता फलांचि


जय देव जय देव


जय मंगल मूर्ति


दर्शन मरते मान कामना पूर्ति


जय देव जय देव


रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा


चंदनाची उटी कुमकुम केशरा


हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा


रुनझुनती नूपुरे चरनी घागरिया


जय देव जय देव


जय मंगल मूर्ति


दर्शन मरते मान कामना पूर्ति


जय देव जय देव


लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना


सरल सोन्ड वक्रतुंड त्रिनयना


दास रामाचा वाट पाहे सदना


संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना


जय देव जय देव


जय मंगल मूर्ति


दर्शन मरते मान कामना पूर्ति


जय देव जय देव...!!!

जय माँ शेरावाली

जय माँ

|| सारे आलम में बढ़कर है माँ शेरावाली का दरबार ||

सारे आलम में बढ़कर है , माँ शेरावाली का दरबार |
एक बार जो पहुँच गया , वो आना चाहे बारम्बार ||

यहाँ ठिकाना मिलता है , हर एक आने वाले को |
मैया भी देती हैं आदर , हर एक बुलाने वाले को ||
इसीलिए सारे ब्रह्माण्ड में, होता है माँ का जयकार |
सारे आलम में बढ़कर है , माँ शेरावाली का दरबार ||

नजरो के एक इशारे से , यहाँ झोली भर दी जाती है |
नहीं जरूरत है कहने की , सूरत ही पढ़ ली जाती है ||
किसी को मिले संतान , किसी को दौलत का अम्बार |
सारे आलम में बढ़कर है , माँ शेरावाली का दरबार ||

‘श्याम’ बना यहाँ बंसीवाला , राम भी बना धनुधारी |
विष्णु को मिला चक्र सुदर्शन , भोले बन गए भंडारी ||
मंगता नहीं बना इस दर कोई , माँ ऐसा तेरा प्यार |
सारे आलम में बढ़कर है , माँ शेरावाली का दरबार ||

जय माँ शेरा वाली

Sunday, August 12, 2012

ओम् ....

ओम्


ओ3म् का उच्चारण है चमत्कारिक !!

* मृत कोशिकाएँ जीवित हो जाती है * नकारात्मक भाव बदलकर सकारात्मक हो जाते है |
* स्टिरोइड का स्तर कम हो जाता है | * तनाव से मुक्ति मिलती है | * चेहरे के भावों (फेसीयल एक्स्प्रेसन) को भी बदल डालता है | * हमारे आस पासके वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है |
* मस्तिष्क में परिवर्तन होता है और स्वस्थ हो जाता है।* पेट की तकलीफ दूर हो जाती है |
* मस्तिष्क व हृदय की कमजोरी यह सब दूर होता है।
आदि अनंत लाभ होते है ,ओ3म् का उच्चारण करते जाये और रहस्य खोलते जाये |
 — 

Thursday, August 9, 2012

जन्माष्टमी की शुभ कामनाये

कृष्ण

श्री कृष्ण ने कहा है की मेने जो बात कही है गीता में वोह हर युग में अलग रूप से ही प्रगट होगी यदिमें न भी आऊ तो भी यह मेरा प्रकाश फेलाती रहेगी |

सब को जन्माष्टमी की शुभ कामनाये


Wednesday, August 8, 2012

जन्माष्टमी

कृष्णा


श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें ....




स्मार्त मत : ९ अगस्त गुरूवार, सप्तमी योगे अर्धरात्रि को अष्टमी व्याप्त होगी..




वैष्णव मत : १० अगस्त, शुक्रवार, अष्टमी उदय व्यापिनी दोपहर १:४२ तक होगी...




कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत सनातन-धर्मावलंबियों के लिए अनिवार्य माना गया है। साधारणतया इस व्रत के विषय में दो मत हैं ।





 स्मार्त लोग अर्धरात्रि स्पर्श होने पर या रोहिणी नक्षत्र का योग होने पर सप्तमी सहित अष्टमी में भी उपवास करते हैं..





. और वैष्णव लोग सप्तमी का किन्चिन मात्र स्पर्श होनेपर द्वितीय दिवस है 



ी उपवास करते हैं | वैष्णवों में उदयाव्यपिनी अष्टमी एवं रोहिणी नक्षत्र को ही मान्यता एवं प्रधानता दी जाती हैं |

जब भी असुरों के अत्याचार बढ़े हैं और धर्म का पतन हुआ है तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है। इसी कड़ी में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि के अभिजित मुहूर्त में अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया। एक ऐसा अवतार जिसके दर्शन मात्र से प्राणियो के, घट घट के संताप, दुःख, पाप मिट जाते है | जिन्होंने इस श्रृष्टि को गीता का उपदेश दे कर उसका कल्याण किया, जिसने अर्जुन को कर्म का सिद्धांत पढाया, यह उनका जन्मोत्सव है |




हमारे वेदों में चार रात्रियों का विशेष महातम्य बताया गया है...



1) दीपावली जिसे कालरात्रि कहते है...



2) शिवरात्रि महारात्रि है...



3) श्री कृष्ण जन्माष्टमी मोहरात्रि और



4) होली अहोरात्रि है...

जिनके जन्म के सैंयोग मात्र से बंदी गृह के सभी बंधन स्वत: ही खुल गए, सभी पहरेदार घोर निद्रा में चले गए, माँ यमुना जिनके चरण स्पर्श करने को आतुर हो उठी, उस भगवान श्री कृष्ण को सम्पूर्ण श्रृष्टि को मोह लेने वाला अवतार माना गया है | इसी कारण वश जन्माष्टमी की रात्रि को मोहरात्रि कहा गया है। | इस रात में योगेश्वर श्रीकृष्ण का ध्यान, नाम अथवा मंत्र जपते हुए जगने से संसार की मोह-माया से आसक्ति हटती है।




*** अष्टमी दो प्रकार की है- पहली जन्माष्टमी और दूसरी जयंती... इसमें केवल पहली अष्टमी है... यदि वही तिथि रोहिणी नक्षत्र से युक्त हो तो 'जयंती' नाम से संबोधित की जाएगी...




*** "वह्निपुराण" का वचन है कि कृष्णपक्ष की जन्माष्टमी में यदि एक कला भी रोहिणी नक्षत्र हो तो उसको "जयंती" नाम से ही संबोधित किया जाएगा | अतः उसमें प्रयत्न से उपवास करना चाहिए...

*** "विष्णुरहस्यादि" वचन से- कृष्णपक्ष की अष्टमी रोहिणी नक्षत्र से युक्त भाद्रपद मास में हो तो वह जयंती नाम वाली ही कही जाएगी...

*** "वसिष्ठ संहिता" का मत है- यदि अष्टमी तथा रोहिणी इन दोनों का योग अहोरात्र में असम्पूर्ण भी हो तो मुहूर्त मात्र में भी अहोरात्र के योग में उपवास करना चाहिए...

*** "स्कन्द पुराण" का वचन है कि जो उत्तम पुरुष है वे निश्चित रूप से जन्माष्टमी व्रत को इस लोक में करते हैं... उनके पास सदैव स्थिर लक्ष्मी होती है... इस व्रत के करने के प्रभाव से उनके समस्त कार्य सिद्ध होते हैं...

योगेश्वर कृष्ण के भगवद गीता के उपदेश अनादि काल से जनमानस के लिए जीवन दर्शन प्रस्तुत करते रहे हैं। जन्माष्टमी भारत में हीं नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। ब्रजमंडल में श्री कृष्णाष्टमी "नंद-महोत्सव" अर्थात् "दधिकांदौ श्रीकृष्ण" के जन्म उत्सव का दृश्य बड़ा ही दुर्लभ होता है | भगवान के श्रीविग्रह पर हल्दी, दही, घी, तेल, गुलाबजल, मक्खन, केसर, कपूर आदि चढा ब्रजवासी उसका परस्पर लेपन और छिडकाव करते हैं तथा छप्पन भोग का महाभोग लगते है। वाद्ययंत्रों से मंगल ध्वनि बजाई जाती है। जगद्गुरु श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव नि:संदेह सम्पूर्ण विश्व के लिए आनंद-मंगल का संदेश देता है। सम्पूर्ण ब्रजमंडल "नन्द के आनंद भयो... जय कन्हैय्या लाल की"... जैसे जयघोषो व बधाइयो से गुंजायमान होता है...




व्रत महात्यम:-




जन्माष्टमी का व्रत "व्रतराज" कहा गया है... इसके सविधि पालन से प्राणी अनेक व्रतों से प्राप्त होने वाली महान पुण्य राशि प्राप्त कर सकते है...




"भविष्य पुराण" के जन्माष्टमी व्रत-माहात्म्य में यह कहा गया है कि जिस राष्ट्र या प्रदेश में यह व्रतोत्सव किया जाता है, वहां पर प्राकृतिक प्रकोप या महामारी का ताण्डव नहीं होता। मेघ पर्याप्त वर्षा करते हैं तथा फसल खूब होती है। जनता सुख-समृद्धि प्राप्त करती है। इस व्रतराज के अनुष्ठान से सभी को परम श्रेय की प्राप्ति होती है। व्रतकर्ता भगवत्कृपा का भागी बनकर इस लोक में सब सुख भोगता है और अन्त में वैकुंठ जाता है।

कृष्णाष्टमी का व्रत करने वाले के सब क्लेश दूर हो जाते हैं।दुख-दरिद्रता से उद्धार होता है। गृहस्थों को पूर्वोक्त द्वादशाक्षर मंत्र से दूसरे दिन प्रात:हवन करके व्रत का पारण करना चाहिए। जिन भी लोगो को संतान न हो, वंश वृद्धि न हो, पितृ दोष से पीड़ित हो, जन्मकुंडली में कई सारे दुर्गुण, दुर्योग हो, शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को पूर्ण निष्ठा से करने वाले को एक सुयोग्य,संस्कारी,दिव्य संतान की प्राप्ति होती है, कुंडली के सारे दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाते है और उनके पितरो को नारायण स्वयं अपने हाथो से जल दे के मुक्तिधाम प्रदान करते है |

"स्कन्द पुराण" के मतानुसार जो भी व्यक्ति जानकर भी कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को नहीं करता, वह मनुष्य जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है।

"ब्रह्मपुराण" का कथन है कि कलियुग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी में अट्ठाइसवें युग में देवकी के पुत्र श्रीकृष्ण उत्पन्न हुए थे। यदि दिन या रात में कलामात्र भी रोहिणी न हो तो विशेषकर चंद्रमा से मिली हुई रात्रि में इस व्रत को करें।

केवल अष्टमी तिथि में ही उपवास करना कहा गया है। जिन परिवारों में कलह-क्लेश के कारण अशांति का वातावरण हो, वहां घर के लोग जन्माष्टमी का व्रत करने के साथ निम्न किसी भी मंत्र का अधिकाधिक जप करें-

"ॐ नमो नारायनाय "

आथवा

" सिद्धार्थ: सिद्ध संकल्प: सिद्धिद सिद्धि: साधन:"

आथवा

"ॐ नमों भगवते वासुदेवाय"

या

"श्री कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।प्रणत: क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नम:"॥

आथवा

"श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय" ||

उसके पश्चात सभी परिजनों में प्रसाद वितरण कर सपरिवार अन्न भोजन ग्रहण करे और यदि संभव हो तो रात्रि जागरण करना विशेष लाभ प्रद सिद्ध होता है जो किसी भी जीव की सम्पूर्ण मनोकामना पूर्ति करता है...

इसके आलावा कृष्ण जन्म के समय "राम चरित मानस" के"बालकांड" में "रामजन्म प्रसंग" का पाठ आथवा "विष्णु सहस्त्रनाम" , "पुरुष सूक्त" का पाठ भी सर्वस्य सिद्दी व सभी मनोरथ पूर्ण करने वाला है...

इस "संतान गोपाल मंत्र", के जाप व "हरिवंश पुराण", "गीता" के पाठ का भी बड़ा ही महत्व्य है |यह तिथि तंत्र साधको के लिए भी बहु प्रतीक्षित होती है, इस तिथि में "सम्मोहन" के प्रयोग सबसे ज्यादा सिद्ध किये जाते है | यदि कोई सगा सम्बन्धी रूठ जाये, नाराज़ हो जाये, सम्बन्ध विच्छेद हो जाये,घर से भाग जाये, खो जाये तो इस दिन उन्हें वापिस बुलाने का प्रयोग अथवा बिगड़े संबंधो को मधुर करने का प्रयोग भी खूब किया जाता है |

जय श्री कृष्ण.

Monday, August 6, 2012

जय हनुमान

जय हनुमान

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहूँ लोक उजागर

राम राम राम राम राम राम राम राम

राम रा राम राम राम राम राम राम

राम

राम दूत अतुलित बलधामा
अंजनी पुत्र पवन सूत नामा

महावीर विक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी

राम राम राम
राम

Friday, August 3, 2012

तीज

हे शिव आज सभी सुहागनो के मन की जरुर सुनना

सब को अखंड सौभाग्य का आशीष जरुर देना

तीज की शुभ कामनाये देना

तुझ पर सब की  आस्था है लाज रखना

किसी भूल की और मत देखना

सब के प्यार को समझना 
तीज

सब को तीज की हार्दिक शुभ कामनाये 

Thursday, August 2, 2012

जय संतोषी माता

संतोषी माता

जय संतोषी माता
बिछड़ों को  मिलाने वाली
सुख संपत्ति दाता