Saturday, July 28, 2012

शिव शिव

शिव

जिस प्रकार एक ही सूर्य सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार एक ही आत्मा सम्पूर्ण क्षेत्र को प्रकाशित करता है । यह शरीर ही क्षेत्र है और इसको जो भली प्रकार जानता है, वह क्षेत्रज्ञ है । वह उसमेँ फँसा नहीँ है बल्कि उसका संचालक है ।
जय भोलेनाथ सदाशिव शंकर
शिव ! शिव !!

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