भोगों का और दान का आपस में बहुत गहरा सम्बन्ध है. दिये बिना किसी को कुछ नहीं मिलता है. मनुष्य जो-जो वस्तु जिस-जिस तरह से देता है उसे उसी तरह पाता है. जो बिना माँगे देता है वह बिना प्रयास के पाता है. जो माँगने पर देता है वह प्रयास करने पर पाता है और जो देता ही नहीं है वह प्रयास करने पर भी कुछ नहीं पाता है.
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