नाग पंचमी के दिन उपवास रख, पूजन करना कल्याणकारी कहा गया है. श्रवण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नाग पंचमी का पर्व प्रत्येक वर्ष श्रद्धा और विश्वास से मनाया जाता है. इस दिन के विषय में कई दंतकथाएं प्रचलित है.
पूजन विधि
नाग पंचमी के दिन प्रातःकाल उठकर घर की सफाई कर नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं. उसके बाद स्नान कर साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें. पूजन के लिए सेवई-चावल आदि ताजा भोजन बनाए. कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासी खाना खाया जाता है.
इसके बाद दीवाल पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाएं फिर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती दीवाल पर घर जैसा बनाएं और उसमें अनेक नागदेवों की आकृति बनाएं. कुछ जगहों पर सोने, चांदी, काठ व मिट्टी की कलम तथा हल्दी व चंदन की स्याही से अथवा गोबर से घर के मुख्य दरवाजे के दोनों बगलों में पांच फन वाले नागदेव अंकित कर पूजते हैं.
सर्वप्रथम नागों की बांबी में एक कटोरी दूध चढ़ाएं और फिर दीवाल पर बनाए गए नागदेवता की दूध, दूब, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन करें. सेवई व मिष्ठान से उनका भोग लगाएं. नाग देवता को
चंदन की सुगंध विशेष प्रिय होती है, इसलिए पूजा में चंदन का प्रयोग करना चाहिए. इस दिन की पूजा में सफेद कमल का प्रयोग किया जाता है. पूजा के बाद आरती करें.
नागदेवता को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जाप करें. इस मंत्र की तीन माला जप करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं. इस मंत्र का जाप करने से ‘कालसर्प योग' के अशुभ प्रभाव में भी कमी आती है
और पांच नाग कथा
एक अन्य कथा के अनुसार एक राजा के सात पुत्र थे, सभी का विवाह हो चुका था. उनमें से छ: पुत्रों के यहां संतान भी जन्म ले चुकी थी परन्तु सबसे छोटे की संतान प्राप्ति की इच्छा अभी पूरी नहीं हुई थी. संतानहीन होने के कारण उन दोनों को घर-समाज में तानों का सामना करना पड़ता था. समाज की बातों से उसकी पत्नी परेशान हो जाती थी परन्तु पति यही कहकर समझाता था कि संतान होना या न होना तो भाग्य के अधीन है.
इसी प्रकार उनकी जिन्दगी के दिन किसी तरह से संतान की प्रतीक्षा करते हुए गुजर रहे थे. एक दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी. इस तिथि से पूर्व की रात्रि में उसे रात में स्वप्न में पांच नाग दिखाई दिए. उनमें से एक ने कहा की अरे पुत्री! कल नागपंचमी है, इस दिन तू अगर पूजन करे, तो तुझे संतान की प्राप्ति हो सकती है.
प्रात:काल उसने स्वप्न की बात अपने पति को सुनाया, पति ने कहा कि जैसे स्वप्न में देखा है, उसी के अनुसार नागों का पूजन कर देना. उसने उस दिन व्रत कर नागों का पूजन किया और समय आने पर उसे संतान सुख की प्राप्ति हुई.
इस दिन के विषय में कई दंतकथाएं प्रचलित है जिनमें से कुछ कथाएं इस प्रकार है. इन में से किसी कथा का स्वयं पाठ या श्रवण करना शुभ रहता है. साथ ही विधि-विधान से नागों की पूजा भी करनी चाहिए.