करनी माता मंदिर के अंदर चूहों के लिये प्रशाद
मंदिर के अंदर का भव्य थाल चूहों के प्रशाद के लिये
जय करनी माता
संगमरमर से बने करनी माता मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। मुख्य दरवाजा पार कर मंदिर के अंदर पहुंचते ही चूहों की धमाचौकड़ी देख मन दंग रह जाता है। चूहों की बहुतायत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पैदल चलने के लिए अपना अगला कदम उठाकर नहीं, बल्कि जमीन पर घसीटते हुए आगे रखना होता है। लोग इसी तरह कदमों को घसीटते हुए करणी मां की मूर्ति के सामने पहुंचते हैं। चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते हैं। वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहां सफेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। सुबह पांच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक होता है।
चित्र गूगल की सहायता से